लोक शिक्षा समिति बिहार द्वारा आयोजित चार दिवसीय प्रधानाचार्य सम्मलेन का सोमवार को समापन हो गया। समापन सत्र में अपने उद्बोधन में विद्या भारती उत्तर बिहार के प्रांत प्रचारक रामकुमार ने कहा कि जिस प्रकार देश और दुनिया में परिवर्तन हो रहे हैं, उसी प्रकार हमें भी बदलना चाहिए। हमें कुछ नए-नए प्रयोग करने होंगे। नए-नए लोगों को जोड़ना होगा। जैसे-जैसे तकनीक बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे समाज में हमारी स्वीकार्यता बढ़ रही है। लोग यह मान रहे हैं कि हमारी संस्कृति व परम्पराएं वैज्ञानिक हैं। हमें अपनी कार्यशैली बदलनी चाहिए और कार्य का बंटवारा करना चाहिए। आपस में संवाद और सहयोग बना रहना चाहिए।

राष्ट्रीयस्वयं सेवक संघ के स्वयंसेवक
गण-समता करते हुए

इसके पूर्व के सत्र में क्षेत्रीय संगठन मंत्री ख्यालीराम ने विभिन्न विषयों पर प्रधानाचार्यों को सचेष्ट रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा एवं स्वावलंबन का भाव जागृत हो, इसके लिए प्रयास होने चाहिए। हमें सामाजिक सरोकार के कार्यक्रम भी करने चाहिए। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री गोविंद मोहन्ते ने जिला केंद्र पर आदर्श विद्यालय की संकल्पना की सम्पूर्ण रूप रेखा रखी। विद्या भारती द्वारा बनाई गई मूल्यांकन पद्धति के बारे में विस्तार से चर्चा किया। विद्या भारती राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के उपाध्यक्ष दिलीप बेतकेकर ने प्रधानाचार्य को कुछ गतिविधि व लघुकथा के माध्यम से 21वीं सदी के प्रधानाचार्यों को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया। पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री रमेन्द्र राय ने विद्या भारती के अभी तक की जीवनी पर प्रकाश डाला। प्रधानाचार्य सम्मलेन में विद्या भारती के राष्ट्रीय सह मंत्री डॉ.कमल किशोर सिन्हा, प्रदेश सचिव नकुल कुमार शर्मा, प्रदेश सह सचिव अजय कुमार तिवारी सहित कई अधिकारियों का मार्गदर्शन प्रधानाचार्य बंधुओं को प्राप्त हुआ। आगत अतिथियों का स्वागत सह अभिनंदन सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य शर्मिला कुमारी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर सम्पूर्ण उत्तर-बिहार के 22 जिलों से आए हुए 185 प्रधानाचार्य उपस्थित रहे, जिसमें 17 महिलाएं शामिल थीं। सभी 8 विभाग के निरीक्षक व व्यवस्थापक उपस्थित रहे।